


मुझे नही मालूम कल क्या होगा। लहरों को देख कुछ भी अन्दास तो लगा नही सकते । मैंने जिस रह पर चल रही हु मुझे नही मालूम वहां क्या होने वाला है कौन दिखेगा रास्ता, कहाँ होंगी मंजिल । पेंटिंग बनाई है। ऐसे तो शौक है पर सोचा था इसको सेल करके जो कुछ आएगा उससे अपने एनजीओ के लिए खर्च करुँगी बच्चों की जरुरत के लिए कुछ खरीदूंगी । उनके लिए एक टीचर की ब्यावास्थ करुँगी पर क्या यह इतना आसन है। मेरी मदद करके शायद लोगों को उतना फायदा न हो जितना वे चाहतें हैं। पता नही पर मैं पेंटिंग करना तो नही छोड़ सकती